Yog sastra में एक बोहोत ही उत्कृस तथा प्राचीन kriya है jal neti (जल नेति) क्रिया। इसे हमारे पूर्वज साधु और ऋषियों द्वारा किया जाता था। इस technique से योगी खुदको रोग से मुक्त रखते थे। इतना ही प्रभाव शाली रहा है ये क्रिया।
जैसे की योग में सारा ध्यान स्वास पर ही केंद्रित रहता है। और jal neti आपका स्वास प्रक्रिया को सहज बनाती है। ये प्रक्रिया नाक और गले का सारा रुकावटों को दूर करके स्वास प्रक्रिया को सुगम करती है। और जब स्वास स्वस्थ हो तो शरीर के अन्य हिस्सों में इसके अपार प्रभाव जानकर आपको आश्चर्य होगा। जल नेति क्रिया योग का संजीवनी है।
क्या है Jal neti kriya? अर्थ।
Jal neti एक क्रिया या तकनीक है, जिसके माध्यम से नासिका छिद्र को साफ किया जाता है। जिससे स्वास प्रणाली सुगम बनता है। जलनेति स्वास को स्वच्छ करता है, और स्वास शरीर को रोग मुक्त करता है।
इस योगिक क्रिया का अर्थ और करण शरीर की रोगमुक्ति।
कितने प्रकार का होता है नेति क्रिया?
नेति क्रिया का एक भाग है जल नेति। दो प्रकार का नेति क्रिया होता है। जलनेति और सूत्रनेति। जल के द्वारा jalneti किया जाता है। और ये सामन्य और आसान है। पर सूत्रनेति जटिल और advanced प्रक्रिया है।
इसके इलावा और एक नेति क्रिया है, जिसे दुग्ध नेति कहते है। और ये जल नेति के जैसा ही है।
क्या जल नेति डेली करना ठीक है?
Jalneti सिर्फ अपने नाक की छिद्र को साफ करने का प्रक्रिया में सीमित नहीं है। ये हमारे spiritual अस्तित्व को सुगम करता है। ये हमारे शरीर मन और आत्मा को align करता है। इसी कारण से जल नेति डेली करना चाहिए।
अगर आप मैडिटेशन करते हैं, जैसा की आनापानसति मैडिटेशन, या कोई और. आपको समहज आएगा, की आपको meditation और भी आसान लग रहा है.
Jal neti benefits
अपार लाभों का योग है नेति क्रिया। Jala neti के जरिए Nasal passage को साफ करने से शरीर में oxygen ज्यादा मात्रा में पोहोचता है। हालाकि हमारे श्वसन कार्य को सशक्त बनाती है।
इससे हमारे सर्दी, खासी, दमा निमोनिया जैसा रोगों से हमे बचाता है।
Jal neti kriya steps (कैसे करें)
बोहोत ही आसान तरीका है jala neti को करने का। इसके लिए कोईभी बिशेस चीजों का आवश्कता नहीं पड़ती। ये आप साधारण एक घर पर उपलब्ध पात्र से कर सकते है। और नमक वाले गुनगुना पानी लिया जाता है। पर आप साधारण ठंडा पानी बिना नमक का भी कर सकते है।
नमक वाला गुनगुना पानी से ज्यादा फायदा होता है। नीचे स्टेप्स देखे, पर आपको जो आसान लगे, आप उसी तरह से करें।

स्टेप्स:
1. Neti pot या नेति पात्र लें।
2. नमक वाला गुनगुना पानी
3. मुंह को खुला रखते हुए, सर को थोड़ा ऊपर करें। और नेति पात्र को अपने एक नाक के छिद्र में डाले। और धीरे धीरे पानी को अंदर बहने दे। (साधारकन घरका किसिभी पात्र से ये काम कर सकते है। बात सिर्फ इतना है, की आपको नाक के एक छिद्र में पानी डालना है।)
4. धीरे धीरे पानी दूसरी नाक की छिद्र से बाहर बहने लगेगी।
5. अब इसी प्रक्रिया को दूसरी छिद्र में दोहराएं।
6. कुछ पानी मुंह में भी आयेंगे। उसे थूक दें।
7. हर सुबह इसे दोहराएं। बस आपका jala neti जलनेति क्रिया संपन्न हुआ।
जल नेति कितने बार कर सकते है?
हर सुबह एक बार जल नेति अवश्य करें। और अगर आपको हर रोज सुविधा न हो, तो हफ्ते में 3 से 4 बार jala neti आप कर सकते है।
ये योग क्रिया अगर आप प्राणायाम करते है, तो उसमे विशेष लाभ पोहचाएगी। इसके लिए अगर आपको लगे तो एक दिन में आप दो बार भी जल नेति कर सकते है। इससे आपको सर पर जो हेवीनेस रहता है, आपको फील होगा, की वो चला गया। और हल्का महसूस होगा।
सावधानियां
बोहोत सारे लाभों के बाबजूद, jal neti के कुछ सावधानियां जरूर है। इसे जरूर याद रखें।
1. इस क्रिया को करने के बार सर को झुका कर कुछ देर रुके। ताकि बचा हुआ पानी आपके नाक और मुख से बाहर निकल आएं। इसके लिए आप सरके एक तरफ धीरे धीरे टैप कर सकते है।
मतलब, लेफ्ट नोज से पानी को निकालने के लिए सर के राइट हिस्सा को थपथपाएं। वैसा ही दूसरी तरफ भी करें।
2. अगर बोहोत ज्यादा शर्दी जुकाम हो तो इसे न करें।
3. नाक से अगर आपको खून निकलने की समस्या है। तो jala neti न करें।
4. कान में दर्द है तो न करें।
Side effects
वैसे तो ये एक योग क्रिया है। और योग का कोई साइड इफेक्ट तो होता नहीं। पर आपका हेल्थ कंडीशन के ऊपर ये निर्भर करता है, की आपको कितनी लाभ या नुकसान पौचाएगी।
फिरभी कुछ साधारण साइड इफेक्ट हो सकता है।
1. नए नए सुरु के दिनों में, कुछ खुजली या जलन महसूस हो सकता है आपके नाक में। ये स्वाभाविक है।
2. नाक से खून निकलने का समस्या भी सुरु के दिनों में हो सकता है।
इसके इलावा वैसा कुछ गंभीर चीजे नहीं होता है jal neti के कारण। सिर्फ एक ही चीज आपको होगा, और है अपार लाभ। तो आज से ही, योग के इस अमूल्य संपद को आप भी जीवन में ले आएं। और स्वस्थ और सर्वोत्तम बने। और अंत में ॐ जरूर लिख कर जाएं।
OM
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